‘ईदगाह’ कहानी के लेखक मुंशी प्रेमचंद्र जी है। “ईदगाह” प्रेमचंद की एक प्रसिद्ध कहानी है। ‘ईदगाह’ कहानी बाल मनोविज्ञान पर आधारित एक ऐसी कहानी है, जिसमे मात्र आठ वर्षीय बालक हामिद का वयस्कों के समान परिपक्व और समझदारी वाला व्यवहार दर्शाया गया है।
ईदगाह कहानी का सार:-
हामिद एक गरीब अनाथ लड़का है, जो अपनी दादी अमीना के साथ रहता है। उसके माता-पिता गुजर चुके हैं, और अमीना उसे बड़े प्यार से पालती है। कहानी ईद के दिन शुरू होती है। गाँव के सभी बच्चे नए कपड़े और पैसे लेकर मेले में जाते हैं। हामिद के पास केवल तीन पैसे हैं और पुराने कपड़े पहने हुए वह भी उनके साथ जाता है। मेले में बाकी बच्चे मिठाइयाँ खाते हैं और खिलौने खरीदते हैं, लेकिन हामिद अपनी स्थिति को समझता है। वह सोचता है कि अगर वह मिठाइयाँ खा लेगा, तो वे जल्द ही खत्म हो जाएँगी, और खिलौने भी टूट सकते हैं। इसलिए, वह अपने तीन पैसे से एक चिमटा खरीदता है ताकि उसकी दादी रोटियाँ बनाते समय गर्म तवे से हाथ न जलाए। जब वह चिमटा लेकर लौटता है, तो बाकी बच्चे उसका मजाक उड़ाते हैं, लेकिन हामिद अपनी खरीदारी पर गर्व महसूस करता है। जब वह घर पहुँचता है और चिमटा अमीना को देता है, तो वह भावुक हो जाती है। उसकी आँखों से आँसू निकल पड़ते हैं, लेकिन दिल गर्व और ममता से भर जाता है।
मुख्य सन्देश :-
ईदगाह कहानी बाल-मन की मासूमियत, त्याग और सच्चे प्रेम को उजागर करती है। हामिद अपनी छोटी उम्र के बावजूद जिम्मेदारी और समझदारी दिखाता है। यह कहानी यह सिखाती है कि सच्चा सुख दूसरों की भलाई में है, और रिश्तों की गहराई किसी भी भौतिक वस्तु से अधिक मूल्यवान होती है।
प्रेमचंद्र जी की महत्वपूर्ण कहानियाँ :-
कहानियाँ | विशेषताएं |
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ईदगाह | त्याग और बाल-मन की सरलता। |
कफन | गरीबी और मानवीय स्वभाव की कटु सच्चाई। |
पूस की रात | किसान की दयनीय स्थिति और संघर्ष |
नमक का दरोगा | ईमानदारी और नैतिकता की जीत। |
दो बैलों की कथा | जानवरों के माध्यम से शोषण और साहस का चित्रण। |
बूढ़ी काकी | वृद्धों की उपेक्षा और मानवीय संवेदनाएँ। |
ठाकुर का कुआँजाति | भेद और सामाजिक अन्याय। |
शतरंज के खिलाड़ी | विलासिता और समाज की विसंगतियाँ। |
बड़े भाई साहब | अनुशासन और भाईचारे का मासूम चित्रण। |
पंच परमेश्वर | न्याय और सच्चाई की महत्ता। |